भारतीय वैज्ञानिकों की तकनीक बचाएगी हाथियों के हमलों से

Wild elephant destroys residential houses in Dimapur. Image by Caiisi Mao. Copyright Demotix (21/6/2012)

Wild elephant destroys residential houses in Dimapur. Image by Caisii Mao. Copyright Demotix (21/6/2012)

हर साल भारत में जंगली हाथियों के हमले के कारण लोग मारे जाते हैं, क्योंकि हाथियों के रहने की जगहें लगातार कम हो रही हैं। प्रकृति संरक्षण प्रतिष्ठान (एनएफसी) के वैज्ञानिक आनंद कुमार और शोधकर्ता गणेश रघुनंदन ने तमिलनाडु के वालपाराई में हाथियों और इंसान के बीच होने वाले इस संघर्ष से बचाव का नया तरीका निकाला है।

उन्होंने एक एलिफेंट इन्फर्मेशन नेटवर्क बनाया है, जिससे लोगों को पता चल जाता है कि हाथी किस ओर जा रहे हैं। इसके लिए लोकल केबल टीवी और मोबाइल फोनों का इस्तेमाल किया जाता है। वालपाराई में एक छोटी सी टीम दिन में हाथियों की जगह के बारे में जानकारी इकट्ठी कर स्थानीय टीवी चैनल को देती है।

इस बारे में जानकारी स्थानीय केबल टीवी चैनलों पर हर शाम चार बजे स्क्रॉलिंग न्यूज के तौर पर दिखाई जाती है। इसके अलावा पहले चेतावनी देने वाले भी कई सिस्टम हैं। फाउंडेशन के पास ढाई हजार स्थानीय लोगों का डेटाबेस है। जो भी लोग हाथियों के रास्ते के दो किलोमीटर के दायरे में होते हैं, उन्हें एसएमएस भेजा जाता है। प्रतिष्ठान ने 22 जगहों पर हाथियों से बचाव के लिए लाल एलईडी लाइट लगाई है। जैसे ही एक विशेष नंबर पर मिस कॉल दिया जाता है, लाइटें ऑन हो जाती हैं।   

 ब्लॉगर डेपोंटी कहते हैं:

सह अस्तित्व और संघर्ष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

मशहूर फिल्म निर्माता सरवनकुमार वालपाराई पठार में स्थानीय स्तर पर इस्तेमाल की जा सकने वाली और सहज तकनीक के बारे में एक वीडियो के जरिए बताते हैं

वरुण अलगार, इस यू ट्यूब वीडियो के बारे में टिप्पणी करते हुए कहते हैं:

इससे निश्चित ही कई लोगों को प्रेरणा मिली होगी। इस तरह के उपाय संघर्ष वाले सबसे संवेदनशील इलाकों में स्वागत योग्य हैं। ऐसा अच्छा काम कृपया करते रहिए। उम्मीद है कि इस सफर में किसी लक्ष्य पर पहुंचने की बजाए सह अस्तित्व की भावना रहेगी।

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