भारत : वीडियो स्वयंसेवकों के जरिए सामुदायिक पत्रकारिता

भारत के गांवों और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों की एक गैरलाभकारी संस्था ‘वीडियो स्वयंसेवक’ (वीडियो वालंटियर्स) है. यह संस्था उस तरह की वीडियो सामग्री बनाती है जो सीधे-सीधे उनके सामाजिक सारोकारों को प्रभावित करते हैं. सामाजिक समस्या उठाने वाले समाचार व घटना प्रधान वीडियो को यह संस्था समुदाय के हजारों लाखों लोगों के बीच प्रदर्शित करती है, जिससे जन जागृति होती है और लोगों में कुछ कर गुजरने की भावना उभरती है.  सामुदायिक वीडियो सामग्री जिसे सामुदायिक वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा ही आमतौर पर तैयार किया जाता है, उसे प्रभावी तरीके से जन जन तक पहुँचाने का प्रयास ऑनलाइन वीडियो चैनल चैनल 19 द्वारा बखूबी किया जा रहा है.

वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत नीचे दिए गए ताजातरीन वीडियो में विश्व की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में हड़ताल के बारे में हालात दर्ज हैं. इस हड़ताल के पीछे शासन का वह निर्णय है जिसके तहत प्रत्येक झुग्गीवासी को प्रति परिवार 400 वर्गफुट जमीन देने के पूर्व के वायदे से पलटकर अब सिर्फ 300 वर्गफुट जमीन दी जा रही है.  ब्लैक डे इन धारावी  नाम के इस वीडियो में पूरी कहानी दर्ज है. जाहिर है, इस वीडियो को भी स्वयंसेवकों ने ही बनाया है:

वीडियो स्वयंसेवकों द्वारा चैनल 19 के लिए बनाए गए अन्य वीडियो भी गहरी अंतर्दृष्टि युक्त व प्रेरक बन पड़े हैं.  वीमन कैन प्ले टू !  नाम के वीडियो में सामुदायिक पत्रकारों ने  झुग्गीवासियों से प्रश्न पूछा कि बच्चे यहाँ किस तरह खेल पाते हैं. पता चला कि लड़के तो भले ही खेल कूद लेते हैं, परंतु लड़कियाँ चौका-बर्तन में ही लगी रहती हैं. तो उन्होंने एक क्रिकेट खिलाड़िन से खेल के महत्व के बारे में बातचीत दर्ज की जिससे लड़कियों को भी खेल के महत्व के बारे में बताया जा सके, और वे भी कुछ प्रेरणा ले सकें. ऐसे ही एक अन्य वीडियो नेवर टू लेट टू टीच में कचरा बीनने वाली एक स्त्री की कहानी है जिसने अपना भविष्य बदलने का निर्णय किया और शिक्षिका बनने के लिए पढ़ना शुरू कर दिया.

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