आम चुनाव 2009: कुछ तथ्य, कुछ मिथक

आज, यानी 16 अप्रेल 2009 को, भारत में आम चुनाव के पहले दौर की शुरुवात होगी और यह सिलिसिला 13 मई, 2009 तक चलेगा। 1947 में प्राप्त आजादी के बाद यह भारत का 15वां आम चुनाव है।

10 लाख से ज़्यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें

भारत की जनसंख्या में से 71 करोड़ 40 लाख लोग मतदान कर सकते हैं। देश भर में तकरीबन 13 लाख 68 हज़ार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें तैनात की गई हैं।

मतदान क्षेत्रों का नवीनीकरण

शायद यह पहली बार है जब कुछ राज्यों में जिलों का नवीनीकरण किया गया ताकि उनकी शहरी अबादी को सही प्रतिनिधित्व मिल सके। कर्नाटक, खास तौर में बंगलौर में, इस तरह के मामले हैं जहाँ जिलों के नवीनीकरण के फलस्वरूप शहरी क्षेत्रों में सीटों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बढ़ी हैं।

4 करोड़ अधिक मतदाता

भारत की जनसंख्या 100 करोड़ है और 60 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयुवर्ग की है। इसीलिये सोची समझी नीति के तहत मीडिया के द्वारा इस युवा वर्ग तक पहुंच बनाने की कोशिश राजनीतिक दलों ने की है।  इस बार चुनाव प्रचार और मतदाता जागरण अभियानों में फिल्मी सितारों और फिल्मकारों की भागीदारी भी अधिक रही है। एक मीडिया रपट के मुताबिक 2994 में संपन्न पिछले चुनाव के मुकाबले इन आम चुनावों में 4 करोड़ नये मतदाता जुड़े हैं।

आनलाईन जानकारी की बाढ़

इस बार के आम चुनाव में जो बात स्पष्ट रूप से अलग है वो है विभिन्न मीडिया चैनलों और भाषाओं में वोटरों के लिये उपलब्ध जानकारी की मात्रा। उदाहरण के तौर पर याहू और गूगल जैसे बड़े संस्थानों ने नक्शों के आकर्षक मैशअप, विडियो, आडियो और जानकारी युक्त खास साईटों का निर्माण किया। मुख्यधारा के मीडिया ने अपने आनलाइन, ब्रॉडकास्ट और प्रिंट संस्करणों के लिये चुनावों पर खास सामग्री का संयोजन किया है। और सर्वव्यापी मोबाईल फ़ोन तो है ही जिसका विभिन्न राजनैतिक दल एसएमएस या वॉयेस संदेश भेजकर चुनाव प्रचार हेतु दोहन कर रहे हैं।

चुनाव आयोग ने भी मतदाताओं के लिये अनेक जानकारियाँ अपने जालसथल पर रखी हैं, मतदान के लिये पंजीकरण कैसे करायें से लेकर आम चुनाव में अयोग्य ठहराये गये उम्मीदवारों की सूची तक।

एक हज़ार से अधिक राजनैतिक दल मैदान में

चुनाव आयोग के मुताबिक 1000 से ज्यादा दल स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे हैं। आयोग द्वारा जारी सूची में सभी दल और उनके चुनाव चिन्ह तो हैं ही, पतंग, प्रेशक कुकर, केतली जैसे ऐसे चुनाव चिन्ह भी शामिल किये गये हैं जो फिलहाल किसी दल द्वारा प्रयोग नहीं किये जाते, पर किये जा सकते हैं।

आयोग द्वारा जारी 333 पृष्ठों की एक सूची में 3423 ऐसे प्रत्याशियों के नाम हैं जिन्हें आयोग ने अयोग्य ठहराते हुये उनके चुनाव में भाग लेने पर रोक लगा दी है। एक अन्य जालस्थल नो क्रिमिनल्स में मतदाताओं को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों के बारे में जानकारी दी गई है। एक खबर के मुकाबिक काँग्रेस पार्टी में सबसे अधिक धनी राजनेता हैं, कुल 121 सदस्य।

मिथक व पूर्वानुमान

भारतीय मतदाताओं के बारे में कई मिथक विगत कई वर्षों से विद्यमान हैं। चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने बीबीसी पर अपने लेख में कुछ मिथकों को तोड़ा है। एक मिथक यह कि भारतीय महिलायें पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान करती हैं। यह भी कि अपने पति की बात सुनकर वोट डालने वाली औरतों की संख्या में कमी आई है। पर वे मानते हैं कि भारतीय महिलायें अब भी वोट डालने का मामले में अपने पति के पदचिन्हों पर चलना पसंद करती हैं। युवा वोटरों पर यादव लिखते हैं

कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह पता चले कि भारतीय युवा दूसरों की तुलना में राजनैतिक रूप से अधिक सक्रिय हैं। बल्कि तुलनात्मक रूप से वे कम सक्रिय होते हैं क्योंकि उनके जीवन में नौकरी की दौड़भाग जैसी अन्य चिंतायें काबिज़ रहती हैं।

एक मिथक जो यादव ने नहीं तोड़ा वो  है राजनेताओं और चुवा परिणामों पर ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रभाव की भूमिका। अभी से ही भविष्यवाणियाँ की जाने लगी हैं की इस चुनाव में भी स्पष्ट बहुमत के अभाव में त्रिशंकु संसद बनेगी। क्या वे ओपिनियन पोल के आधार पर यह कह रहे हैं? आप क्या सोचते हैं?

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