बांग्लादेश : पूर्व प्रधान मंत्री जेल के सींखचों में

लोगों का कहना है कि बांग्लादेश की राजनीति में कोई भी दिन नीरस नहीं होता है. आज (सितम्बर 3, 2007) तड़के बांग्लादेश की सेना-समर्थित (केयर-टेकर) अंतरिम सरकार ने भूतपूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया. उनके पुत्र को भी इसी आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया. ऑर हाउ आई लर्नड टू स्टॉप वरीइंग ने उन घटनाओं की विस्तृत समयरेखा दी है जिसने खालिदा को जेल तक पहुँचाया है. आश्चर्यजनक रूप से यह टीवी प्रधान घटना रही चूंकि गिरफ़्तारी का समाचार पहले ही लीक हो गया था और मीडिया के लोग समाचार को कवर करने के लिए खालिदा जिया के घर की ओर जा रही सुरक्षा दस्ते के पीछे हो लिये थे.

इससे पहले, मध्यरात्रि में उनके विरुद्ध एक प्रकरण दर्ज किया गया था कि जब वो सत्ता में थीं तो उन्होंने अपनी शक्ति का इस्तेमाल गलत तरीके से करके एक स्थानीय कंपनी को ठेका देकर अपने पुत्र को फ़ायदा पहुँचाया था. उनका ज्येष्ठ पुत्र पहले से ही सींखचों के भीतर है और उस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं. वे पार्लियामेंट परिसर के कामचलाऊ कैदखाने में अपनी राजनीतिक चिर प्रतिद्वंद्वी, एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ रहेंगी जो पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोप में बंद हैं.

सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी तथा बांग्लादेश की राजनीति को स्वच्छ करने के अभियान के तहत उच्च स्तर के दर्जनों राजनीतिज्ञों और व्यापारियों को जेल में बंद कर दिया गया है. बांग्लादेश में 11 जनवरी 2007 से, जब से यह अंतरिम सरकार बनी है, आपातकाल लागू है.

बंगलादेशी चिट्ठाजगत् में इस मामले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ हुईं हैं. इम्परफ़ेक्ट|वर्ल्ड|2007 के शफ़ीउर इस ख़बर को सुन कर खुश हो रहे हैं और वे नेट पर मिष्टी (मिठाई) बांट रहे हैं .

वो तथा उनके पुत्र कोको अपने विभिन्न वित्तीय गतिविधियों के प्रति ज्यादा मुखर तो नहीं ही थे और उम्मीद है कि उनके लिए सुरक्षित विशिष्ट क्षेत्र में अधिक पारदर्शी होने में ये मददगार तो होंगे .

कोई डेढ़ माह पूर्व से जब से शेख हसीना को गिरफ़्तार किया गया था तब से लोगों के बीच यह चर्चा का विषय था कि खालिदा जिया के विरुद्ध क्यों कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं. ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ क्षेत्र इन राजनीतिक प्रतीकों से छुटकारा प्राप्त कर सृजित रिक्ति का इस्तेमाल शक्ति हासिल करने में लेना चाहते हैं. वाइस ऑव बांग्लादेशी ब्लॉगर की टिप्पणी है:

अंततः बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री, भ्रष्टाचार की अम्मा को सैन्य समर्थित केयर टेकर सरकार ने गिरफ़्तार कर ही लिया था. अब वे खालिदा जिया को गिरफ़्तार कर अपने काम को संतुलित रूप देने की कोशिश कर रहे हैं.

अपनी गिरफ़्तारी के कुछ घंटों पहले खालिदा जिया ने bdnews24.com को दिए एक अनन्य साक्षात्कार में बताया था:

“मुझे गिरफ़्तारी से कोई भय नहीं है. जनता मेरे साथ है. मेरे विरुद्ध फर्जी प्रकरण बनाए गए हैं.”

खालिदा जिया के वक्तव्य पर ढाका ब्लॉग की टिप्पणी है :

यह मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता कि जब भी कोई राजनेता अपने राजनीतिक कर्मों की वजह से कठिनाई में आता है तो वो यही रोना रोता है – “मेरे विरुद्ध फर्जी प्रकरण बनाया गया है” तथा “साजिश की गई है”. यदि बांग्लादेश में सचमुच में इतनी “साजिशें” होतीं तो हमारा जीडीपी थोड़ा ज्यादा ही होता!

परंतु प्रश्न अभी मुंहबाए खड़ा है कि क्या इससे बांग्लादेश में प्रजातंत्र की वापसी का रास्ता आसान होगा . दृष्टिपट चिट्ठे में रूमी ने व्यंग्यात्मक लहजे में लिखा है:

बांग्लादेश की सारी समस्या के लिए बहुत से लोग दो मुख्य राजनीतिक दल के नेताओं पर दोषारोपण करते रहे हैं. तो अब चूंकि दोनों ही मुख्य बुराइयाँ (पार्टियों के नेता) अब जेल में हैं तो अब क्षितिज में दैवीय चिर शान्ति का सूर्य उदित हो जाना चाहिए. जनता को अब असीम आनंद, शांति व खुशी में जीना चाहिए. अब इस देश में कहीं भी अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, गरीबी, ग़ैरकानूनी कार्य, भुखमरी, अपराध नहीं होने चाहिएँ. फिर तो सदा सर्वदा के लिए शान्ति स्थापित हो जाना चाहिए.

इस प्रविष्टि को भी पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ मिलीं. कुछेक ने उल्लासमय प्रतिक्रिया दी और सरकार की प्रशंसा की तो एक ने प्रश्न किया:

यह सचमुच रोचक है – हम बांग्लादेशी परिस्थिति का मूल्यांकन दिल से करते हैं, दिमाग से नहीं. खालिदा या हसीना के विरुद्ध कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है और इसके बावजूद कुछ चिट्ठाकार उन्हें फांसी पर लटकाने को तुले हैं!

देश उच्च मुद्रास्फ़ीति से पीड़ित है और अभी हाल ही में एक विश्वविद्यालय कैंपस से सेना के कैम्प को हटाने के विवाद पर दंगा फसाद हो गया और कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई. केयर-टेकर सरकार ने वादा किया है कि नए मतदाता पहचान पत्र बनाने के भारी भरकम परियोजना के पूरा हो जाने के बाद 2008 के अंत में चुनाव करवाए जाएंगे.

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